उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्णय के बाद 16,000 से अधिक मदरसों की मान्यता रद्द कर दी है। यह मदरसे पहले मदरसा बोर्ड के अंतर्गत चल रहे थे, लेकिन हाई कोर्ट ने इसको असंवैधानिक ठहराया था। अब इन मदरसों को किसी अन्य बोर्ड की मान्यता प्राप्त करनी होगी, वरना ये बंद हो जाएँगे।
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने इस निर्णय को पालन करने के लिए जिलाधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं। निर्देश के अनुसार, जो मदरसे अब तक मदरसा बोर्ड के अंतर्गत थे, उन्हें किसी अन्य बोर्ड से मान्यता प्राप्त करना होगा। इस प्रक्रिया के बाद, वही मदरसे चालू रहेंगे जो अन्य बोर्ड की अर्हताओं को पूरा करते हों। इस निर्णय के परिणामस्वरूप, जो मदरसे नए मान्यता प्राप्त नहीं कर पाएँगे, उन्हें बंद कर दिया जाएगा।
इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य मदरसों में पढ़ रहे बच्चों की हितों की सुनिश्चितता है। मान्यता प्राप्त मदरसों में पढ़ रहे छात्रों को किसी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। जो मदरसे नए बोर्ड की मान्यता प्राप्त नहीं कर पाएँगे, उन बच्चों को सरकारी स्कूलों में समायोजित किया जाएगा। यदि आवश्यकता होती है, तो स्कूलों की क्षमता को बढ़ाने या नए स्कूलों की स्थापना की जाएगी।
हाई कोर्ट ने 22 मार्च, 2024 को मदरसा बोर्ड को असंवैधानिक घोषित करते हुए राज्य मदरसा बोर्ड एक्ट को असंवैधानिक ठहराया था। इस मामले में हाई कोर्ट ने कहा कि मदरसों में मजहबी शिक्षा सेक्युलरिज्म के खिलाफ है और सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि इन मदरसों में दाखिले लेने वाले छात्रों को औपचारिक शिक्षा प्रदान की जाए। इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखा है।