उत्तर प्रदेश के बदायूँ जिले से एक दिल दहलाने वाली घटना सामने आई है, जहाँ दो नाबालिग हिन्दू बच्चों की निर्मम हत्या कर दी गई। इस घटना ने साम्प्रदायिक तनाव को जन्म दिया है। 19 मार्च 2024, मंगलवार की इस घटना ने पूरे क्षेत्र में शोक की लहर फैला दी।
बदायूँ के सिविल लाइंस इलाके में स्थित बाबा कॉलोनी के एक मकान में यह भयावह घटना घटी। विनोद, जो पेशे से पानी की टंकी के ठेकेदार हैं, के परिवार पर यह आपदा आई। उनकी पत्नी एक ब्यूटी पार्लर में काम करती हैं और घटना के समय विनोद घर से बाहर थे।
आरोपित, साजिद नामक व्यक्ति, शाम के लगभग 6 बजे उनके घर पहुंचा और बच्चों को चीज खिलाने के बहाने अंदर ले गया। उसने दो बच्चों, 14 वर्षीय आयुष और 6 वर्षीय हनी की गर्दनें काट दीं और तीसरे बच्चे पर भी हमला किया, हालांकि, वह भागने में सफल रहा। इस घटना से आक्रोशित और दुःखी समुदाय के लोग और हिन्दू संगठन के सदस्य पुलिस स्टेशन के बाहर इकट्ठा हो गए, और ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए।
घटना के बाद, आरोपित साजिद पुलिस के हत्थे चढ़ गया। उसे पकड़ने के प्रयास में उसने पुलिस पर हमला किया और भागने की कोशिश की, जिसके जवाब में पुलिस ने मुठभेड़ में उसे मार गिराया।
भविष्य में ऐसे घृणित अपराधों की पुनरावृत्ति न हो। इस तरह की घटनाओं से न सिर्फ पीड़ित परिवार, बल्कि पूरा समाज गहरे सदमे और आक्रोश में है। समाज में व्याप्त इस तरह की हिंसा और अमानवीयता के खिलाफ लड़ाई में, सभी स्तरों पर सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।
पीड़ित परिजनों का आरोप है कि मृतक बच्चों का गला काट कर खून भी पिया गया है। यह आरोप न केवल चौंकाने वाला है बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे कुछ विकृत मानसिकता के लोग समाज में विद्यमान हैं। ऐसी घटनाओं का सख्ती से मुकाबला करने की जरूरत है।
इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि मानवता किस हद तक गिर सकती है। यह समय है कि समाज के हर वर्ग के लोग मिलकर ऐसी घृणित क्रियाओं के खिलाफ खड़े हों और सरकार व प्रशासन से मांग करें कि ऐसे अपराधियों को कठोरतम सजा दी जाए, ताकि भविष्य में किसी को भी इस प्रकार के अपराध करने से पहले हजार बार सोचना पड़े।
समाज में शांति और सौहार्द की स्थापना के लिए, हमें न केवल अपराधियों को दंडित करना होगा, बल्कि उन कारणों का भी मूल्यांकन करना होगा जो लोगों को इस तरह के अपराध करने के लिए प्रेरित करते हैं। शिक्षा, सामाजिक जागरूकता, और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, इस दिशा में उठाए जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण कदम हो सकते हैं।
अंततः, यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम एक ऐसे समाज का निर्माण करें जहां सभी सुरक्षित महसूस कर सकें और जहां ऐसी घटनाएं एक दूर की कल्पना बन जाएं। यह लंबी लड़ाई हो सकती है, लेकिन यह अवश्य ही लड़ने योग्य है।